Dedicated to my sannyas-deeksha day - 29th October 1989
संन्यास मेरे ओशो का
मेरे सत्य की खोज है
'आ अब लौट चले ' कहनेवाले
मांझी की प्यारी नौका और मौज है
...
संन्यास मेरे ओशो का
मेरे समर्पण का आरंभ है
ओशो की ध्यान-वाणी में
भीगा यहाँ राव और रंक है
संन्यास मेरे ओशो का
मेरे सत्त्व और चित्त की शुद्धि है
तेजोमय होती जहा
चित्त की चेतना में वृद्धि है
संन्यास मेरे ओशो का
भूत और भविष्य से मुक्ति है
ध्यान करो और फल पाओ
पूरी वैज्ञानिक यहाँ भक्ति है
संन्यास मेरे ओशो का
मेरे अस्तित्व का दर्पण है
हो जाता है यहाँ
अपने दर्प का तर्पण है
संन्यास मेरे ओशो का
एक अखंड, प्रचंड, प्रसन्न, संपन्न
व्यक्ति होने की यात्रा है
ध्यान की उर्जा और ZEN-STICK
यहाँ इस वैद्य की मात्रा है
संन्यास मेरे ओशो का
अटूट प्रेमबंधन की शक्ति है
संन्यास मेरे ओशो का
परम सुन्दरता की अभिव्यक्ति है
संन्यास मेरे ओशो का
मेरे सत्य की खोज है
'आ अब लौट चले ' कहनेवाले
मांझी की प्यारी नौका और मौज है
...
संन्यास मेरे ओशो का
मेरे समर्पण का आरंभ है
ओशो की ध्यान-वाणी में
भीगा यहाँ राव और रंक है
संन्यास मेरे ओशो का
मेरे सत्त्व और चित्त की शुद्धि है
तेजोमय होती जहा
चित्त की चेतना में वृद्धि है
संन्यास मेरे ओशो का
भूत और भविष्य से मुक्ति है
ध्यान करो और फल पाओ
पूरी वैज्ञानिक यहाँ भक्ति है
संन्यास मेरे ओशो का
मेरे अस्तित्व का दर्पण है
हो जाता है यहाँ
अपने दर्प का तर्पण है
संन्यास मेरे ओशो का
एक अखंड, प्रचंड, प्रसन्न, संपन्न
व्यक्ति होने की यात्रा है
ध्यान की उर्जा और ZEN-STICK
यहाँ इस वैद्य की मात्रा है
संन्यास मेरे ओशो का
अटूट प्रेमबंधन की शक्ति है
संन्यास मेरे ओशो का
परम सुन्दरता की अभिव्यक्ति है