परमात्मा
के खबरी से मुलाकात
Written on 2013_Oct_24
आज रात ९ बजे फिर एक बार
परमात्मा के खबरी से बाते होंगी
चन्द्रगुप्त की पोतडी खुलेगी
फिर कर्मो का लेखा-जोखा होगा
मेरे वचनों के विश्लेषण होंगे
मेरी सादगी के आभूषण होंगे
मेरे दर्द का न्याय होगा
फिर तो, कर्मो की ही बाराते निकलेंगी
दी हुई गालियों का जनाजा निकलेगा
पर मौत भी इसका इलाज नहीं होगी
आज रात ९ बजे फिर एक बार
परमात्मा के खबरी से बाते होंगी
ये क्या क्या ढोये जा रही हु मैं
अब तो वजन का बटवारा होगा
सारे मकान जो पीछे छोड़ आयी हु
उनका भी फिर एक बार से सामना होगा
फिर तो उनकी भी मरम्मत होगी
क्या पता अब भी शायद
किसी को मुझ से शिकायत होगी
आज रात ९ बजे फिर एक बार
परमात्मा के खबरी से बाते होंगी
पतली सी लड़की से मोटी सी औरत
जाने अपनी चमड़ी में क्या क्या छुपाये रखती है
फिर तो गुप्त धन का भी पर्दाफाश होगा
अब ना छिप सकेंगी दर्दभरी दास्ताने
अब ना छिप सकेंगे, पुराने गीत मस्ताने
फिर तो सभी की धीरे धीरे पदयात्रा होगी
आज रात ९ बजे फिर एक बार
परमात्मा के खबरी से बाते होंगी
पाये थे जो पत्थर, आज उनकी
निखालस मोतियों में तबदीली होगी
फिर तो दर्द की नदी ही बहेगी
बहते बहते खबरी के पीछे पीछे मुड लेगी
फिर गुजरेंगे सूरज से होकर
अपनी जख्मो को उसकी गर्मी से धोकर
फिर बहेंगी हवा की लहरे
पुराने जख्मो को अपने स्पर्श से बदल कर
फिर तो खबरी के साथ साथ चलकर
परमात्मा से मुलाकाते होगी
आज रात ९ बजे फिर एक बार
परमात्मा के खबरी से बाते होंगी
जाने कब उसकी मेहेर-नजर होगी
जाने कब आनंद की बौछार होगी
जाने कब फिर सावन आएगा
जाने कब हिसाब का पिटारा बंद होगा
लेकिन फिर भी
आज रात ९ बजे और एक बार
परमात्मा के खबरी से बाते होंगी