Dedicated to my master - The guru - the only beloved who does not belong to THE MIND...body or thoughts...
एक पल का मिलना काफी नहीं हैं
जीवन की लम्बी यात्रा के लिए
यू आना और एक नजर देख जाना
काफी नहीं मुझ मुरीद के लिए
जाना ही हैं अगर तुमको,
तो ले जाओ मुझको
पात्रता नहीं मेरी
इस संसार में जीने के लीये
केवल स्मरण से मरण नहीं आता
ध्यान जरुरी हैं असली मरण के लिए
तुम मुर्शिद मेरे, मौला मेरे
मेरा मरना तुमको पाने के लिए
तुमने वादा किया था साथ चलने का
झेनगिरी कर कर के मुझको रुलाने का
बताओ तो जरा – क्या काफी हैं
हर दिन की तकलीफे
बिन तुम्हारे – तुम्हारे पार जाने के लिए?
एक पल काफी नहीं हैं
एक बार में तुमको जानने के लिए
फिर फिर से चले आओ
मेरी सादगी को आजमाने के लिए